गाजियाबाद पुलिस कमिश्नरेट के ट्रांस-हिंडन जोन में थानों पर गठित साइबर सेल ने Cyber Crime Recovery Success की एक मिसाल पेश करते हुए साइबर अपराध के खिलाफ चल रहे अभियान में बड़ी सफलता हासिल की है। पिछले दो महीनों में कुल 27 लाख रुपए की राशि रिकवर कर साइबर अपराध पीड़ितों को वापस लौटा दी गई है।
यह उपलब्धि साइबर अपराध और ऑनलाइन धोखाधड़ी के खिलाफ चल रहे निरंतर अभियान का परिणाम है। जिन लोगों की राशि वापस की गई, वे विभिन्न प्रकार की ऑनलाइन ठगी जैसे UPI फ्रॉड, फेक कस्टमर केयर हेल्पलाइन, फर्जी निवेश योजनाएं और ऑनलाइन शॉपिंग फ्रॉड के शिकार हुए थे।
गोल्डन ऑवर्स में तत्काल कार्रवाई:
Cyber Crime Recovery Success की यह कहानी गोल्डन ऑवर्स की अवधारणा से शुरू होती है। हेल्पलाइन नंबर, थानों और ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से प्राप्त शिकायतों पर ‘गोल्डन ऑवर्स’ के भीतर तुरंत कार्रवाई की गई। इस तत्काल प्रतिक्रिया से धोखाधड़ी वाले लेनदेन को ट्रैक करना और फ्रीज करना संभव हो सका।
समय की यह महत्वता साइबर क्राइम में सबसे अहम होती है। जितनी जल्दी पीड़ित शिकायत करता है, उतनी ही अधिक संभावना होती है कि उसका पैसा वापस मिल सके। गाजियाबाद पुलिस की साइबर टीम ने इस सिद्धांत को अपनाकर उल्लेखनीय परिणाम हासिल किए हैं।
वित्तीय संस्थानों के साथ समन्वय:
इस सफलता के पीछे वित्तीय संस्थानों के साथ प्रभावी समन्वय रहा है। बैंकों, पेमेंट गेटवे और नोडल अधिकारियों से लगातार संपर्क बनाकर संदिग्ध खातों को तुरंत फ्रीज कराया गया। यह प्रक्रिया 24×7 आधार पर चलती रहती है जिससे अपराधियों को पैसा निकालने का मौका नहीं मिलता।
Cyber Crime Recovery Success में तकनीकी साधनों का योगदान:
Cyber Crime Recovery Success की इस कहानी में उन्नत साइबर फोरेंसिक टूल्स की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इन टूल्स की मदद से लेनदेन की राह, म्यूल अकाउंट्स और धोखेबाजों के अकाउंट्स का पता लगाया गया। डिजिटल फुटप्रिंट्स को ट्रैक करना आज के समय में साइबर क्राइम सुलझाने की कुंजी है।
पुलिस टीम द्वारा आधुनिक तकनीक का बेहतरीन उपयोग किया गया है। IP ट्रेसिंग, बैंक ट्रांजैक्शन एनालिसिस और डिजिटल साक्ष्य संग्रह के माध्यम से अपराधियों के नेटवर्क को समझा गया है।
पीड़ितों की सराहना और सहयोग:
इस अवसर पर लाभार्थियों ने गाजियाबाद पुलिस के त्वरित और सहयोगात्मक रवैये की सराहना की है। DCP ट्रांस-हिंडन जोन ने स्पष्ट किया कि “जनता का सहयोग पुलिस कार्रवाई जितना ही महत्वपूर्ण है। समय पर रिपोर्ट करने से हमारी रिकवरी की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।”
यह सफलता इस बात को दर्शाती है कि पुलिस और नागरिकों के बीच मजबूत सहयोग से साइबर अपराध से निपटा जा सकता है। शीघ्र शिकायत दर्ज करवाना और सही जानकारी देना इस प्रक्रिया में अत्यंत महत्वपूर्ण है।
साइबर अपराध के प्रमुख प्रकार:
रिकवरी के मामलों का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि सबसे अधिक मामले UPI फ्रॉड और फेक कस्टमर केयर हेल्पलाइन के हैं। फर्जी निवेश योजनाओं के जरिए भी बड़ी मात्रा में लोगों को ठगा जा रहा है। ऑनलाइन शॉपिंग फ्रॉड भी एक बढ़ती हुई समस्या है।
अपराधियों के तरीके दिन-प्रतिदिन बदल रहे हैं। वे नई तकनीकों का इस्तेमाल करके लोगों को धोखे में डालते हैं। इसलिए पुलिस को भी अपनी रणनीति को लगातार अपडेट करना पड़ता है।
नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण सुझाव:
गाजियाबाद पुलिस ने नागरिकों के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं:
व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा: अपना OTP, PIN या बैंक पासवर्ड किसी से साझा न करें। यह जानकारी केवल आपकी है और इसे गुप्त रखना अत्यंत आवश्यक है।
निवेश से पहले सत्यापन: किसी निवेश योजना या ऑनलाइन विक्रेता को भुगतान करने से पहले उसकी प्रामाणिकता अवश्य जांचें। जल्दबाजी में निर्णय न लें।
आधिकारिक संपर्क साधन: केवल आधिकारिक वेबसाइट पर दिए गए ग्राहक सेवा नंबर का ही उपयोग करें। फर्जी नंबरों से बचें।
तत्काल सहायता और शिकायत प्रक्रिया:
किसी भी संदिग्ध लेनदेन की तुरंत सूचना 1930 हेल्पलाइन या www.cybercrime.gov.in पर दें। देर करने से पैसा वापस मिलने की संभावना कम हो जाती है।
गाजियाबाद पुलिस नागरिकों की सुरक्षा के लिए भौतिक और डिजिटल दोनों क्षेत्रों में पूरी तरह प्रतिबद्ध है। साइबर अपराधों से निपटने के लिए अपनी जांच क्षमताओं को लगातार मजबूत करती रहेगी।
स्रोत: गाजियाबाद पुलिस कमिश्नरेट प्रेस नोट, 6 अगस्त 2025 साइबर क्राइम पोर्टल