भारत में Gravity Battery तकनीक को मिल रहा बढ़ावा, सौर ऊर्जा का भंडारण अब होगा आसान

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By Rashmi Singh

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भारत में Gravity Battery तकनीक को मिल रहा बढ़ावा, सौर ऊर्जा का भंडारण अब होगा आसान

Gravity Battery सिस्टम में भारी कंक्रीट ब्लॉक और सोलर पैनल
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भारत में ऊर्जा क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने वाली Gravity Battery तकनीक अब चर्चा का विषय बन चुकी है। वैज्ञानिकों और इंजीनियरों का मानना है कि यह तकनीक आने वाले वर्षों में सौर ऊर्जा के भंडारण की सबसे विश्वसनीय और पर्यावरण-अनुकूल प्रणाली बन सकती है।

बिजली की ज़रूरत और वर्तमान चुनौती:-

Gravity Battery सिस्टम

भारत में बिजली की मांग लगातार बढ़ रही है, लेकिन इसके पारंपरिक स्रोत जैसे कोयला, पेट्रोल और डीज़ल सीमित हैं और प्रदूषण का भी बड़ा कारण हैं। कई इलाकों में आज भी नियमित बिजली आपूर्ति एक चुनौती है।

रिन्यूएबल बनाम नॉन-रिन्यूएबल स्रोत:-

ऊर्जा उत्पादन के दो मुख्य स्रोत होते हैं: नॉन-रिन्यूएबल (कोयला, तेल) जो सीमित हैं, और रिन्यूएबल (सौर, पवन, जल), जो पर्यावरण के लिए अनुकूल हैं। भारत में सरकार रिन्यूएबल एनर्जी को बढ़ावा दे रही है लेकिन भंडारण की समस्या अब तक एक बड़ी अड़चन बनी हुई है।

Gravity Battery क्या है?

ग्रेविटी बैटरी एक ऐसी तकनीक है जिसमें सरप्लस बिजली से एक भारी कंक्रीट ब्लॉक (लगभग 35 टन) को ऊपर उठाया जाता है। जब बिजली की जरूरत होती है, तो इस ब्लॉक को नीचे गिराया जाता है और उस गति से जनरेटर घूमता है, जिससे बिजली उत्पन्न होती है।

ग्रेविटी बैटरी तकनीक वर्तमान में दुनिया भर में उभर रही है। जैसे कि Energy Vault जैसी कंपनियां इस दिशा में अग्रसर हैं…

यह पूरी प्रणाली गुरुत्वाकर्षण बल पर आधारित है और इसमें किसी रासायनिक या इलेक्ट्रॉनिक प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं होती। यही वजह है कि इसे सुरक्षित, टिकाऊ और दीर्घकालिक विकल्प माना जा रहा है।

Gravity Battery बनाम लिथियम बैटरी – तुलना तालिका

विशेषताGravity Batteryलिथियम आयन बैटरी
ऊर्जा स्रोतगुरुत्वाकर्षण बल (Gravity)कैमिकल रिएक्शन (Chemical Reaction)
पार्ट्स की जटिलताबहुत साधारण – ब्लॉक, मोटर, जनरेटरअत्यधिक जटिल – कई इलेक्ट्रॉनिक भाग
लाइफ स्पैनलगभग 300 वर्ष3-5 वर्ष (1000 साइकल्स)
मेंटेनेंसन्यूनतम (Zero-बहुत कम)उच्च मेंटेनेंस आवश्यक
प्रदूषण (Pollution)ऑपरेशन में शून्यउत्पादन और डिस्पोजल में हाई प्रदूषण
निर्भरतास्थानीय रूप से निर्मित हो सकती हैलिथियम के लिए विदेशी निर्भरता
लागत (Long Term)एक बार लागत, लंबे समय तक उपयोगीबार-बार रिप्लेसमेंट से लागत अधिक
सुरक्षाअत्यंत सुरक्षित, फटने का कोई डर नहींअधिक गर्मी में विस्फोट का खतरा
अनुकूल क्षेत्ररेगिस्तानी और पहाड़ी दोनों क्षेत्रों मेंमोबाइल, वाहन, छोटे उपकरण

लिथियम बैटरी से कैसे अलग है?

ग्रेविटी बैटरी का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसमें मेंटेनेंस की आवश्यकता न के बराबर होती है। इसकी तुलना में लिथियम बैटरियां न केवल महंगी होती हैं, बल्कि इनकी उम्र भी सीमित होती है। साथ ही, लिथियम का अधिकतर उत्पादन कुछ ही देशों तक सीमित है, जिससे भारत जैसे देश निर्भर बने रहते हैं।

भारत में कहां उपयोगी हो सकती है?

राजस्थान जैसे रेगिस्तानी इलाकों में जहां सौर ऊर्जा प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है, वहां ग्रेविटी बैटरी का उपयोग बड़े पैमाने पर किया जा सकता है। वहीं, हिमाचल और उत्तराखंड जैसे पर्वतीय क्षेत्रों में हाइड्रो ग्रेविटी सिस्टम को लागू किया जा सकता है।

चुनौतियाँ भी हैं:-

विशेषज्ञों के अनुसार, ग्रेविटी बैटरी पर अभी और शोध की आवश्यकता है। भारत जैसे देश में पावर सेक्टर में बड़े बदलाव को लागू करना आसान नहीं होता। इसके अलावा, जिन कंपनियों ने लिथियम बैटरी में भारी निवेश किया है, उनके लिए यह तकनीक चिंता का विषय हो सकती है।

क्या कहती है सरकार?

ऊर्जा मंत्रालय से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, “भारत सरकार रिन्यूएबल एनर्जी के हर विकल्प पर गंभीरता से विचार कर रही है। जैसे MNRE – Ministry of New and Renewable Energy की नीतियां बताती हैं। ग्रेविटी बैटरी भी उनमें से एक है। IIT और अन्य तकनीकी संस्थान इसपर शोध कर रहे हैं।”

निष्कर्ष: एक नई दिशा की शुरुआत:-

ग्रेविटी बैटरी न केवल तकनीकी दृष्टि से एक अनूठा समाधान है, बल्कि यह भारत के ग्रामीण इलाकों में ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में भी एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में जब स्मार्ट सिटी और इलेक्ट्रिक वाहनों का विस्तार होगा, तब ग्रेविटी बैटरी जैसे समाधानों की आवश्यकता और भी अधिक होगी।

यह तकनीक केवल बिजली बनाने का एक माध्यम नहीं, बल्कि पर्यावरण और टिकाऊ विकास की दिशा में एक सशक्त पहल है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

1. Gravity Battery क्या है और यह कैसे काम करती है?

ग्रेविटी बैटरी एक ऊर्जा भंडारण प्रणाली है जिसमें अतिरिक्त (सरप्लस) बिजली का उपयोग करके एक भारी कंक्रीट ब्लॉक को ऊंचाई पर ले जाया जाता है। बाद में जब बिजली की ज़रूरत होती है, तो इस ब्लॉक को नीचे गिराकर जनरेटर घुमाया जाता है, जिससे बिजली उत्पन्न होती है।

2. क्या Gravity Battery लिथियम आयन बैटरियों से बेहतर है?

हां, ग्रेविटी बैटरी में न तो कैमिकल्स होते हैं, न ही तेजी से खराब होने वाले पार्ट्स। इसकी लाइफ लंबी होती है और मेंटेनेंस लगभग न के बराबर होता है। यह पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित है।

3. क्या भारत में Gravity Battery का उपयोग संभव है?

बिलकुल संभव है। राजस्थान जैसे क्षेत्रों में सोलर ग्रेविटी बैटरी और हिमाचल जैसे इलाकों में हाइड्रो ग्रेविटी बैटरी लगाई जा सकती है। कुछ भारतीय स्टार्टअप इस पर काम भी कर रहे हैं।

4. क्या ग्रेविटी बैटरी पूरी तरह से प्रदूषण-मुक्त है?

ऑपरेशन के दौरान यह लगभग शून्य प्रदूषण उत्पन्न करती है। हालांकि निर्माण के समय (टावर, ब्लॉक आदि) कुछ कार्बन उत्सर्जन होता है, लेकिन यह पारंपरिक बैटरियों की तुलना में काफी कम है।

5. क्या ग्रेविटी बैटरी आम उपभोक्ताओं के लिए उपलब्ध है?

फिलहाल यह तकनीक बड़े स्तर पर ही लागू की जा रही है, लेकिन भविष्य में छोटे स्तर पर भी इसका उपयोग संभव हो सकेगा। जैसे– गाँवों, स्कूलों, अस्पतालों या खेती-बाड़ी में।

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Rashmi Singh

I am Rashmi, A versatile content creator and insightful writer from Kanpur, contributing regularly to PrimeHeadline.com. With a strong grasp of research-backed writing, she crafts engaging articles across education, career growth, travel, personal development, and lifestyle trends that resonate with a diverse readership.

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